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आत्मा साकार या निराकार - 4

आत्मा साकार है, या निराकार? भाग -4.*

ओ३म्

*आत्मा को साकार मानने वाले लोग* कृपया इन प्रश्नों के उत्तर देवें।

मान लीजिए आपके सामने कोई प्राणी खड़ा है। और उसमें संशय हो रहा है कि यह प्राणी गाय है या घोड़ा है ? स्पष्ट नहीं हो पा रहा ।
तो आप इस बात का निर्णय कैसे करेंगे , कि सामने खड़ा हुआ प्राणी गाय है या घोड़ा है ? 
आप उस प्राणी के लक्षण गाय और घोड़े से मिला कर देखेंगे । 
यदि उसके लक्षण गाय से मिलते हैं , तो उसे गाय मान लेंगे ।
यदि उसके लक्षण घोड़े से मिलते हैं, तो उसको घोड़ा मान लेंगे।
*यदि सामने खड़े प्राणी में 2 सींग हैं, और गले में चादर सी लटकी है, जिसे गलकंबल कहते हैं. तो यह लक्षण गाय से मिलते हैं। इससे पता चलता है कि सामने वाला प्राणी गाय है। यदि ये लक्षण उसमें नहीं हैं और घोड़े वाले लक्षण हैं, तो यह निर्णय हो जाएगा कि सामने खड़ा हुआ प्राणी घोड़ा है।*

ठीक इसी प्रकार से अब जो संशय है, कि *आत्मा साकार है, या निराकार?*
 तो आत्मा का भी इसी तरह से निर्णय कर लीजिए। 
यदि आत्मा के लक्षण साकार वस्तुओं से मिलते हैं, तो आत्मा को साकार मान लेंगे।
यदि आत्मा के लक्षण निराकार वस्तुओं के साथ मिलते हैं, तो उसे निराकार मान लेंगे।

अब आप इन नीचे के तीन प्रश्नों को पढ़िए और ईमानदारी से उतर दीजिए।

 *पहला प्रश्न - ऋषियों ने, आत्मा में, क्या इच्छा ज्ञान प्रयत्न कर्म करना संतान उत्पन्न करना उसका पालन करना रोटी कार मकान आदि वस्तुएं बनाना इन्हें नष्ट करना, सुखी दुखी होना आदि गुण कर्म बताए हैं या नहीं?*
 यदि न्याय दर्शन तथा वैशैषिक दर्शन आदि शास्त्रों में ऋषियों ने आत्मा के ये गुण कर्म बताएं हैं, तो विचार कीजिये, कि इस प्रकार के गुण किसी भी पृथ्वी सूर्य रोटी लोहा लकड़ी कपड़ा सोना चांदी आदि साकार वस्तु में पाए जाते हैं? यदि नहीं पाए जाते, तो इससे सिद्ध होता है कि *आत्मा साकार नहीं है, बल्कि निराकार है।*

 *दूसरा प्रश्न - निराकार वस्तु (ईश्वर) में निराकारत्व के अतिरिक्त क्या इच्छा, ज्ञान, सृष्टि रचना, पालन, विनाश आदि गुण कर्म भी होते हैं या नहीं?*
यदि होते हैं, तो इससे ही मिलते जुलते गुण, इच्छा, ज्ञान, मकान बनाना रेल बनाना उनकी रक्षा करना उन्हें तोड़ना फोड़ना आदि गुण कर्म आत्मा में भी हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि आत्मा के गुण ईश्वर के साथ मेल खाते हैं। तो इस कारण से, *जैसे ईश्वर निराकार है, वैसे ही आत्मा भी निराकार है।* क्योंकि ये गुण कर्म निराकार वस्तु में ही संभव हैं, किसी भी साकार वस्तु में न तो प्रत्यक्ष दिखाई देते, और न ही अनुमान प्रमाण से सिद्ध होते।

 *तीसरा प्रश्न - साकार वस्तुओं (पृथ्वी सूर्य लोहा लकड़ी कपड़ा भोजन वस्त्र फूल मिठाई आदि) में आकार (रूप) के अतिरिक्त रस गन्ध स्पर्श आदि गुण होते हैं या नहीं?* 
यदि इन साकार वस्तुओं में रस गंध स्पर्श आदि गुण होते हैं, तो ये गुण आत्मा में तो नहीं हैं। इससे भी यही सिद्ध हुआ कि *आत्मा साकार नहीं है, बल्कि निराकार है।*

- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक - दर्शन योग महाविद्यालय 

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